Date: 20 April 2022
पिछले कुछ दिनों से देश के अलग-अलग हिस्सों से लगातार सांप्रदायिक हिंसा की खबरें आ रही हैं। रामनवमी और हनुमान जयंती के मौके पर कई जगह छोटी-छोटी सी बात को लेकर हुए उन्माद ने सांप्रदायिक तनाव को जन्म दिया जिससे देशभर में हिंसक घटनाओं का सिलसिला चल पड़ा है।
दिल्ली के जहाँगीरपुरी में हुई हिंसा के बाद अब मुंबई की आरे कॉलोनी में एक धार्मिक यात्रा के दौरान दो समुदायों के बीच हिंसा भड़क गई। जिसके बाद पुलिस ने वहाँ से 25 लोगों को गिरफ्तार किया। वहीं महाराष्ट्र के ही अमरावती में एक धार्मिक झंडे को हटा दिए जाने के कारण दो गुट आमने-सामने हो गए। पुलिस को वहाँ धारा 144 लागू करनी पड़ी। उधर गुजरात के वडोदरा में दो अलग-अलग समुदाय के लोगों के दोपहिया वाहनों के टकरा जाने के बाद हुए झगड़े ने भी सांप्रदायिक रूप ले लिया। हिंसा में कई लोगों के घायल होने की खबर आई है। पुलिस ने हिंसा में शामिल 19 लोगों को गिरफ्तार किया है। वहीं हरियाणा के भिवानी में सांप्रदायिक हिंसा फैलाने के उद्देश्य से मजार को तोड़कर हनुमान प्रतिमा स्थापित करने का आरोप लगाते हुए वीडियो वायरल किया गया। इस मामले पर संज्ञान लेते हुए पुलिस ने जाँच शुरू कर दी है।
रामनवमी के मौके पर मध्य प्रदेश के खरगोन, पश्चिम बंगाल के हावड़ा और झारखंड के लोहरदगा और बोकारो जिलों से भी इसी तरह की खबरें आई। दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में भी दो छात्र गुटों के बीच हिंसक टकराव देखा गया।
देश में ऐसे हर मामले को सांप्रदायिक तूल दे देने का एक ट्रेंड सा बन गया है। हमारे यहाँ जो त्योहार सांप्रदायिक सौहार्द बढ़ाने के लिए मनाए जाते हैं वे आखिर हिंसा फैलाने के अवसर कैसे बन गए?
(भारतीय जनसंचार संस्थान, नई दिल्ली से प्रकाशित साप्ताहिक लैब जर्नल 'प्रभात भारती' में प्रकाशित।)
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